राशियों और व्यवसाय |
वृषभ-(ई उ ए ओ वा वी वू वे वो) इस राशि के जातक सौन्दर्य प्रसाधन, सुगन्धित पदार्थ जैसे इत्र आदि, आभूषण, डेरी व दूध से बने उत्पाद जैसे घी, पनीर आदि का व्यवसाय कर सकते हैं।
मिथुन-(का की कू घ ङ छ के को ह) इस राशि के जातक धन पूँजी से संबंधित व्यवसाय, बैंकिंग फाइनेन्स, दलाली, एकाउंटेसी, लेखा परीक्षण आदि के कार्य तथा वैद्यक व पुस्तकों आदि का व्यवसाय कर सकते हैं।
लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
कर्क-(ही हू हे हो हा डी डू डे डो) इस राशि के जातक सलाहकारी या कंसल्टेन्सी का कार्य, मूंगा-मोती व जल प्रबंधन आदि से संबंधित कार्य व चित्रकला आदि से संबंधी कार्य कर सकते हैं।सिंह-(मा मी मू मे मो टा टी टू टे) इस राशि के जातक सोने-चांदी के गहने बनाने का कार्य, पशुओं से संबंधित व्यापार, शेयर निवेश से संबंधित कारोबार, सजावटी सामान बनाने आदि का व्यवसाय कर सकते हैं।
कन्या-(टो पा पी पू ष ण ठ पे पो) इस राशि के जातक कम्प्यूटर से संबंधित उपकरण, ड्रांइग, पैटिंग, शिल्पकला, गायन, अभिनय आदि को पेशे के रूप में अपना सकते हैं।
लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
तुला-(रा री रू रे रो ता ती तू ते) इस राशि के जातक व्यापार, आढ़त, दलाली, कमीशन-एजेण्ट, द्रव्य पदार्थो के विक्रेता, सलाहाकार, चित्रकला, संगीत संबंधी व्यवसाय कर सकते हैं।
वृश्चिक-(तो ना नी नू ने नो या यी यू) इस राशि के जातक ज्योतिष, शरीर की विशेष चिकित्सा, भूगर्भ विज्ञान, गुप्त कार्य व शिक्षण आदि का कार्य कर सकते हैं।
धनु-(ये यो भा भी भू धा फा ढ़ा भे) इस राशि के जातक सचिव, वकील, शूरवीरतापूर्ण कार्य, शस्त्र विद्या सीखाना (जूड़ो कराटे आदि) ठेकेदारी, इंजीनियरिंग, घोड़ों का व्यवसाय, लकड़ी के कार्य आदि कर सकते हैं।
मकर-(भो जा जी खी खू खे खो गा गी) इस राशि के जातक पानी से संबंधी व्यापार, तेल, जल, पत्थर आदि, बागवानी, रसायन निर्माण का कार्य, रत्न संबंधी कार्य, कृषि पदार्थो आदि का व्यवसाय कर सकते हैं।
लेखक-संजय कुमार गर्ग sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
कुंभ-(गू गे गो सा सी सू से सो दा) इस राशि के जातक चित्रकारी, बिजली उपकरण, कार्गो व कोरियर आदि का व्यवसाय कर सकते हैं।
मीन-(दा दू थ झ ञ दे दो चा ची) समुद्र व जल से संबंधी कार्य, मछली पालन, कृषि संबंधी कार्य, कूप खनन, नाव, बोट से संबंन्धित कार्य, शिक्षण आदि कार्य कर सकते हैं।
विशेष-यदि उक्त राशि या ग्रह बलवान हैं तो उत्तम फल तथा मध्यम बली हो तो मध्यम फल तथा साधारण बली हो तो साधारण अथवा हीन बली हो तो नाममात्र फल होता है।
लग्न या लग्नेश तथा दशमेश की दृष्टि या युति से भी व्यवसाय में बदलाव आ सकता है।
[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!]
लेखक-संजय कुमार गर्ग
लेखक-संजय कुमार गर्ग
(चित्र गूगल-इमेज से साभार!)
अच्छा और सुंदर ब्लाग।
जवाब देंहटाएंकहकशां जी, ब्लॉग पर आने के लिए व कमेंट्स करने के लिए धन्यवाद!
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