वास्तु के अनुसार ब्रह्मस्थान!

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ब्रह्मस्थान (Center of  house)
ब्रह्मस्थान, वास्तुशास्त्र के कालपुरूष की नाभि है। जिस प्रकार नाभि से पूरे शरीर का नियंत्रण होता है, उसी प्रकार ब्रह्मस्थान से भी पूरे मकान या भूखण्ड को स्वच्छ वायु, स्वच्छ प्रकाश एवं अध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होने के साथ-साथ पूरे मकान या भूखण्ड का नियंत्रण भी होता है। जिस प्रकार किसी भूखण्ड के ईशान, पूर्व दिशा को पवित्र रखा जाता है, उसी प्रकार भूखण्ड के ब्रह्मस्थान (Center of house) स्थान की भी पूरी सुरक्षा की जानी चाहिये। प्रस्तुत हैं ब्रह्मस्थान (Center of house) के लिये वास्तुशास्त्र (Vastu) की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां-

-प्रत्येक घर में ब्रह्मस्थान (Center of house) अवश्य होना चाहिये तथा वह बिना छत के होना चाहिये, सुरक्षा की दृष्टि से लोहे का जाल डाला जा सकता है।

-भूखण्ड के ब्रह्मस्थान को चौक भी कहते हैं, इस भाग में कोई भी निर्माण कार्य नहीं करना चाहिये, हमेशा खुला रखना चाहिये।
  
-वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि सम्पूर्ण भूखण्ड के तीन भागों में से एक भाग ब्रह्मस्थान (Center of house) होना चाहिये तथा यह भाग या अन्य शब्दों में घर का मध्य भाग ऊंचा होना चाहिये। दूसरे शब्दों में इसे गजपुष्ट (हाथी की पीठ की तरह) होना चाहिये। यदि हम ब्रह्मस्थान पर जल डाले तो वह चारों ओर फैल जाये, कहने का तात्पर्य है कि ब्रह्मस्थान के मध्य में गडडा नहीें होना चाहिये, खडडे युक्त ब्रह्मस्थान, नीचे ब्रह्मस्थान या बैठे हुये ब्रह्मस्थान से ग्रहस्वामी के धन का नाश होता है।

-भूखण्ड के मध्य में तलघर कभी न बनायें।

-भूखण्ड के मध्य में हैंडपम्प, कुआं, सैप्टिक टैंक, जल भण्डारण कभी न बनायें, यदि ऐसा किया तो भवन व भवन के स्वामी का विनाश हो सकता है।

-घर के मध्य भाग ब्रह्मस्थान में जल निकासी के लिये गृह से बाहर तक नालियां अवश्य बनवानी चाहिये।
  लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com (All rights reserved.)
नोट-अनेक पाठकजनों की शिकायत रहती है कि आप वास्तु के इतने नियम बता देते हैं कि उनका पालन करना संभव प्रतीत नहीं होता, यदि आप ये शिकायत ब्रह्मस्थान के नियम के संबंध में करें तो उपरोक्त में से कोई भी नियम त्याज्य नहीं है, अर्थात ग्रहस्वामी को उपरोक्त नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिये, अन्यथा हानि-नुकसान होने की पूरी संभावना है। 
[पाठकगण! यदि उपरोक्त विषय पर कुछ पूछना चाहें तो कमेंटस कर सकते हैं, या मुझे मेल कर सकते हैं!]    -लेखक-संजय कुमार गर्ग  sanjay.garg2008@gmail.com

9 टिप्‍पणियां :

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    1. आदरणीया उपासना जी! ब्लॉग को पढ़ने व् कमेंट्स करने के लिए सादर धन्यवाद!

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  2. उत्तर
    1. कमेंट्स के लिए धन्यवाद! संजय भाई!

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  3. वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि सम्पूर्ण भूखण्ड के तीन भागों में से एक भाग ब्रह्मस्थान होना चाहिये तथा यह भाग या अन्य शब्दों में घर का मध्य भाग ऊंचा होना चाहिये। दूसरे शब्दों में इसे गजपुष्ट (हाथी की पीठ की तरह) होना चाहिये। यदि हम ब्रह्मस्थान पर जल डाले तो वह चारों ओर फैल जाये, कहने का तात्पर्य है कि ब्रह्मस्थान के मध्य में गडडा नहीें होना चाहिये, खडडे युक्त ब्रह्मस्थान, नीचे ब्रह्मस्थान या बैठे हुये ब्रह्मस्थान से ग्रहस्वामी के धन का नाश होता है। बहुत ही योग्य और बेहतर जानकारी लिखी है आपने संजय जी !

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    1. आदरणीय योगी जी! कमेंट्स के लिए सादर आभार!

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  4. Mere plot karib 10decimil ka hai jisme North facing home hai aur wo west boundry se laga hai.east to north aur east to west khula hai aur ghar karb 5 decimil me hai.south-east kone me karib 2decimil me factory laga hai.aur factory ke diwal aur ghar ka east diwal ke bich ka gap 5feet hai.lekin ghar ko agar reference lekar mane to N-E me well hai,,agar pure land area ko le to north to south ke bich par east to west। Direction le to east se nazdik hai.kyon ki west side me ghar hai..north facing.kya well ka vastu thik hai guru ji..kripya bataye.aur ghar ke andar s-w kone me bathroom banaya ja sakta hai ki nahi.lekin outer boundry south ke taraf se karib 5feet khula space hai.
    Please help.

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    1. विवेक जी, नमस्कार! आप ने बहुत सारे प्रश्न दाग दिए, इनका उत्तर एकदम देना संभव नहीं है, आप अपने घर का नक्शा बना कर मुझे मेल कर दें, दिशाए स्पष्ट हों, फेसबुक या गूगल+ पर मुझे folllow करके चेटिंग पर मिले, या मामूली कंसल्टेंसी देकर घर या फोन पर बात करें! निशिचत रहिये आप की सारी समस्याएं हल हो जाएँगी! धन्यवाद!

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  5. वास्तु क्षेत्र में बरामदे से निर्धारण होना चाहिए। एजिस बिंदु से गृह निर्माण हुआ हो

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